ब्रह्मोस मिसाइल- India TV Hindi
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ब्रह्मोस मिसाइल

भारत-रूस के संयुक्त उद्यम से बनी सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल ब्रह्मोस अब पूरी तरह से मेड इन इंडिया बनकर भारतीय सेना को सौंप दी गई है। उत्तर प्रदेश के लखनऊ स्थित ब्रह्मोस मिसाइल उत्पादन केंद्र में तैयार की गई पहली खेप आज भारतीय सेना को दी गई, जो देश की आत्मनिर्भर रक्षा क्षमता में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इसे देखकर ही पाकिस्तान की नींद उड़ जाएगी, चैन उड़ जाऐगा। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, पाकिस्तान की जहां तक बात है, तो अब उसकी एक-एक इंच जमीन ब्रह्मोस की पहुंच में है। ऑपरेशन सिन्दूर में जो हुआ, वह तो सिर्फ ट्रेलर था। पर उस ट्रेलर ने ही पाकिस्तान को यह एहसास दिला दिया, कि अगर भारत, पाकिस्तान को जन्म दे सकता है, तो समय आने पर वह……….अब आगे मुझे बताने की जरूरत नहीं है, आप सभी समझदार हैं।

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थलसेना, नौसेना और वायुसेना तीनों अंगों की रीढ़ बनी ब्रह्मोस

ब्रह्मोस इस समय भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना — तीनों का अहम हिस्सा है।

• भारतीय थलसेना के पास फिलहाल चार ब्रह्मोस रेजिमेंट हैं, जो देश के अलग-अलग सामरिक इलाकों में तैनात हैं।

• भारतीय नौसेना के लगभग सभी प्रमुख विध्वंसक युद्धपोत ब्रह्मोस मिसाइल से लैस हैं।

• भारतीय वायुसेना के सुखोई Su-30 MKI लड़ाकू विमान अब एयर-लॉन्च ब्रह्मोस के साथ लंबी दूरी तक सटीक हमला करने में सक्षम हैं।

 

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ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस की निर्णायक भूमिका

 

सूत्रों के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायुसेना ने सुखोई-30 एमकेआई से वायु-लॉन्च ब्रह्मोस मिसाइल दागी थी, जिसने पाकिस्तान के आतंकी अड्डों को 300 किलोमीटर से अधिक की दूरी से सटीक निशाना बनाया। यह पहला अवसर था जब इतनी दूरी से भारतीय मिसाइल ने पाकिस्तान की धरती पर आतंकी ठिकानों को तबाह किया। इस अभियान में ब्रह्मोस ने अपनी गति, सटीकता और घातक क्षमता का परिचय दिया/

नए जेनरेशन की ब्रह्मोस और बढ़ी हुई रेंज

वर्तमान ब्रह्मोस मिसाइल की रेंज 290 से 400 किलोमीटर के बीच है। अब DRDO और ब्रह्मोस एयरोस्पेस मिलकर BrahMos-NG (Next Generation) पर काम कर रहे हैं — यह हल्की, तेज और स्टील्थ टेक्नोलॉजी से लैस मिसाइल होगी, जिसे भविष्य में लड़ाकू विमानों, पनडुब्बियों और अन्य मोबाइल प्लेटफॉर्म से लॉन्च किया जा सकेगा। भविष्य में इसकी रेंज 500 किलोमीटर से अधिक तक बढ़ाए जाने की संभावना जताई जा रही है।

 

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भारत में पहली बार पूरी तरह स्वदेशी उत्पादन

लखनऊ में बनी यह ब्रह्मोस उत्पादन इकाई भारत की पहली फुल-स्केल असेंबली और इंटीग्रेशन यूनिट है। यहां सालाना करीब 80 से 100 मिसाइलों के उत्पादन की क्षमता है, जिसे आगे बढ़ाकर 150 मिसाइलें प्रति वर्ष करने की योजना है।

यह केंद्र न केवल सेना की जरूरतें पूरी करेगा बल्कि भविष्य में निर्यात केंद्र के रूप में भी उभर सकता है।

रक्षा मंत्री की मौजूदगी में सौंपा गया आधुनिक हथियार

 

आज लखनऊ में आयोजित समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्वयं ब्रह्मोस मिसाइल के इस संस्करण का निरीक्षण किया और इसे भारतीय सेना को सौंपा। इस मौके पर उन्होंने कहा कि ब्रह्मोस न केवल भारत की रक्षा क्षमता का प्रतीक है, बल्कि यह आत्मनिर्भर भारत के विजन को भी साकार करता है। लखनऊ से सेना को मिली ब्रह्मोस मिसाइल की यह पहली खेप इस बात का संकेत है कि भारत अब केवल रक्षा उपकरणों का उपभोक्ता नहीं, बल्कि निर्माता बन चुका है।

थल, जल और वायु,  तीनों सेनाओं के पास अब पूरी तरह स्वदेशी ब्रह्मोस प्रणाली होने का मतलब है कि भारत की स्ट्राइक कैपेबिलिटी और डिटरेंस पावर पहले से कई गुना मजबूत हो गई है।

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