
कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने RJD नेता लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव से मुलाकात की।
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव के नामांकन वापसी की मियाद खत्म होने से कुछ घंटे पहले महागठबंधन में सीटों के झगड़े को लेकर हलचल तेज हो गई है। राहुल गांधी ने संकट मिटाने के लिए वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अशोक गहलोत को पटना भेजा, जहां उन्होंने आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव से डेढ़ घंटे तक चर्चा की। बिहार में 11 सीटों पर महागठबंधन के सहयोगी दलों के उम्मीदवार आमने-सामने हैं, जिनमें ज्यादातर आरजेडी और कांग्रेस के हैं। मीटिंग के बावजूद कोई फैसला नहीं हो सका, लेकिन गहलोत ने भरोसा दिलाया कि गुरुवार तक सब सुलझ जाएगा।
गहलोत ने की सीट विवाद सुलझाने की कोशिश
बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरू अब तक RJD नेताओं से बात कर रहे थे, लेकिन सहमति नहीं बन पाई। ऐसे में राहुल गांधी ने गहलोत को मंगलवार को पटना भेजा। गहलोत ने लालू की मौजूदगी में तेजस्वी से सीधी बात की। मीटिंग के बाद गहलोत ने कहा, ‘कल नामांकन वापस लेने का आखिरी दिन है। अभी 24 घंटे का समय है। कल तक सारे मुद्दे सुलझ जाएंगे। कल महागठबंधन के नेता जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे। उसके बाद सारी स्थिति साफ हो जाएगी। सारे सवालों के जवाब मिल जाएंगे।’ गहलोत ने सीट विवाद को हल्का करके दिखाने की कोशिश करते हुए कहा कि बिहार में 243 सीटें हैं, और 5-10 सीटों पर फ्रेंडली फाइट होना कोई बड़ी बात नहीं। उन्होंने जोर देकर कहा, ‘महागठबंधन एनडीए के खिलाफ एकजुट होकर लड़ेगा। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव मिलकर चुनाव प्रचार शुरू करेंगे।’
तेजस्वी की चुप्पी, कांग्रेस नेताओं में बेचैनी
इस मुद्दे पर तेजस्वी यादव फिलहाल खामोश हैं। दो हफ्ते बाद मंगलवार को उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई, जहां सीट झगड़े पर सवाल पूछा गया। तेजस्वी ने सिर्फ इतना कहा, ‘महागठबंधन में सब ठीक है। कल सारे सवालों का जवाब मिल जाएगा।’ आरजेडी के टालमटोल रवैये से बिहार कांग्रेस के नेता परेशान हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा, ‘सीटों को लेकर जिस तरह का कन्फ्यूजन है, उससे कार्यकर्ताओं में निराशा है। वोटरों के बीच गलत मैसेज जा रहा है। कुछ सीटों पर फ्रेंडली फाइट की बात भी गलत है। क्योंकि चुनाव में आमने-सामने की जंग होती है। फ्रेंडली फाइट का कोई मतलब नहीं है।’ पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव ने भी सीट शेयरिंग विवाद और उम्मीदवार चयन पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, ‘आरजेडी ने सीटों के बंटवारे में जिस तरह का रवैया दिखाया, जिस तरह कांग्रेस के उम्मीदवारों के सामने अपना कैंडिडेट उतार दिया, वो बिल्कुल गलत है। ये गलती चुनाव में महंगी पड़ सकती है।’
महागठबंधन में खींचतान पर NDA का तंज
महागठबंधन की खींचतान पर NDA नेताओं ने जमकर तंज कसा। लोक जनशक्ति पार्टी प्रमुख चिराग पासवान ने कहा, ‘जो लोग दो-तीन पार्टियों के बीच कोऑर्डिनेशन नहीं बना पा रहे, वो बिहार को क्या संभालेंगे। सारा खेल कांग्रेस का है। कांग्रेस नहीं चाहती कि बिहार में आरजेडी मजबूत हो। इसी लिए कांग्रेस ने ही अब तक सीटों का पेंच फंसा रखा है। और इसी लिए अब तक राहुल गांधी बिहार में कैंपेन करने नहीं गए हैं।’ बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस ने उन अशोक गहलोत को क्राइसिस मैनेजमेंट के लिए भेजा है, जिन्होंने राजस्थान में अपनी ही सहयोगी BSP के विधायकों को तोड़कर कांग्रेस में शामिल कर लिया था।’
महागठबंधन में क्यों हो रहा है विवाद?
महागठबंधन के घटक दलों में खींचतान को देखकर सबके मन में एक ही सवाल है कि आखिर ये स्थिति क्यों आई। चुनावी पंडितों का कहना है कि असल में तेजस्वी चाहते थे कि राहुल गांधी उन्हें मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करें। राहुल ने ऐसा नहीं किया, इसलिए तेजस्वी ने सीटों का पेंच फंसा दिया। अब जब गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी, तो पूरी उम्मीद है कि कांग्रेस तेजस्वी को महागठबंधन की तरफ से मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित करेगी, उसके बाद तेजस्वी सीटों पर सारी स्थिति साफ करेंगे। माना जा रहा है कि इसके बाद वह कुछ सीटों पर अपने उम्मीदवार वापस लेने का ऐलान करेंगे, लेकिन उसके बाद भी सारे उम्मीदवार पर्चा वापस लेंगे या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं है। इसलिए कुछ सीटों पर महागठबंधन के उम्मीदवारों के बीच फ्रेंडली फाइट होगी, ये तय है।
मोहनिया में श्वेता सुमन का नामांकन खारिज
सीट झगड़े के बीच RJD को एक बड़ा झटका लगा। कैमूर जिले की मोहनिया विधानसभा सीट (आरक्षित) से उम्मीदवार श्वेता सुमन का नामांकन खारिज हो गया। श्वेता पर एफिडेविट में गलत जानकारी देने का आरोप लगा। मोहनिया आरक्षित सीट है और रिजर्व सीट से उम्मीदवार बनने के लिए जरूरी है कि उम्मीदवार उस राज्य की नोटिफाइड अनुसूचित जाति में शामिल जाति से हो। श्वेता ने नामांकन फॉर्म में बताया कि उनका मायका यूपी के चंदौली जिले में है और वे अनुसूचित जाति की हैं। बीजेपी ने चुनाव आयोग से शिकायत की कि यूपी में जो व्यक्ति एससी जाति का है, उसे बिहार में तब तक एससी होने का फायदा नहीं मिल सकता, जब तक वो जाति बिहार की शेड्यूल कास्ट में नोटिफाई न हो और कैंडिडेट बिहार का स्थायी निवासी न हो। चुनाव आयोग ने शिकायत सही पाई और नामांकन खारिज कर दिया। बाद में RJD ने निर्दलीय चुनाव लड़ रहे छेदी पासवान को समर्थन देने की घोषणा कर दी।
तेजस्वी यादव ने लगाई चुनावी वादों की झड़ी
हालांकि तेजस्वी इन मुद्दों पर कुछ नहीं बोले, लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने चुनावी वादों की झड़ी लगा दी। खासतौर पर महिला वोटरों को लुभाने की कोशिश की। नीतीश कुमार सरकार ने सवा करोड़ जीविका दीदियों के खातों में दस-दस हजार रुपये ट्रांसफर किए हैं। इसके जवाब में तेजस्वी ने ऐलान किया, ‘अगर बिहार में महागठबंधन की सरकार बनती है तो बिहार की सभी जीविका दीदियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देंगे। यानी उन्हें स्थायी सरकारी नौकरी मिलेगी और हर महीने कम से कम तीस हजार रुपये तनख्वाह होगी। दस हजार में कौन सा रोजगार शुरू होता है, ये नीतीश कुमार ही बता सकते हैं। लेकिन अगर महागठबंधन की सरकार बनी तो जीविका दीदियों ने जो लोन लिया है उसका ब्याज माफ किया जाएगा। और जीविका दीदियों को 2 वर्ष तक ब्याज मुक्त लोन दिया जाएगा।’ इसके अलावा भी तेजस्वी ने कई वादे किए।
बीजेपी ने तेजस्वी के वादों पर कसा तंज
बीजेपी ने तेजस्वी के वादों को चुनावी शिगूफा बताया। केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने कहा, ‘लालू यादव ने पंद्रह साल राज किया, तब उन्हें महिलाओं की याद नहीं आई। जब तेजस्वी यादव डेढ़ साल तक डिप्टी चीफ मिनिस्टर रहे, तब उन्होंने जीविका दीदी और संविदा कर्मियों की सुध नहीं ली। अब चुनाव का वक्त है, इसलिए वोट के चक्कर में तेजस्वी सफेद झूठ बोल रहे हैं। लेकिन बिहार के लोग उनके झांसे में नहीं आएंगे।’ बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने भी कहा, ‘तेजस्वी यादव हताश हैं, इसलिए बड़ी-बड़ी गप्प मार रहे हैं। लेकिन बिहार के लोग जानते हैं कि लालू परिवार जनता को सिर्फ लूटना जानता है।’