
इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।
राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने महागठबंधन का घोषणापत्र जारी किया। ये भी ऐलान हो गया कि राहुल गांधी और अखिलेश यादव महागठबंधन के उम्मीदवारों के लिए वोट मांगने बिहार जाएंगे। महागठबंधन के घोषणापत्र को तेजस्वी प्रण का नाम दिया गया है। इसे जारी करते समय तेजस्वी यादव का डर भी सामने आया। तेजस्वी ने वोटिंग से पहले ही बेइमानी की साजिश का इल्जाम लगा दिया, अधिकारियों को गड़बड़ न करने की चेतावनी दी। घोषणापत्र में सबसे बड़ा दावा ये है कि अगर महागठबंधन की सरकार बनी तो बीस दिन के भीतर सभी परिवारों के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी देने का कानून बनेगा और बीस महीने के भीतर हर परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दे दी जाएगी।
दूसरा बड़ा दावा महिलाओं के लिए है, जीविका दीदी को सरकारी कर्मचारी का दर्जा मिलेगा, ब्याजमुक्त लोन मिलेगा, माई बहन योजना के तहत हर महिला को ढाई हजार रुपये हर महीने मिलेंगे, संविदाकर्मियों की नौकरी को पक्का किया जाएगा, बुजुर्गों विधवाओं की पेंशन हर साल बढ़ेगी, दिव्यांगों को हर महीने तीन हजार रुपये मिलेंगे, हर परिवार को हर महीने 200 यूनिट मुफ्त बिजली मिलेगी, आरक्षण की सीमा बढ़ाई जाएगी, वक्फ कानून को बिहार में लागू नहीं होने दिया जाएगा। तेजस्वी ने कहा कि बीजेपी चुनाव में नीतीश कुमार के चेहरे का इस्तेमाल कर रही है, चुनाव के बाद नीतीश को भी किनारे कर दिया जाएगा। तेजस्वी ने नीतीश कुमार को कठपुतली और मुखौटा कहा तो नीतीश कुमार की तरफ से भी जवाब आया और बहुत लंबा जवाब आया। नीतीश कुमार ने महागठबंधन के घोषणापत्र को झूठ का पुलिंदा बताया।
जब तेजस्वी ने घोषणापत्र जारी किया तो कई बातें खुलकर सामने आईं। एक तो ये कि महागठबंधन की तरफ से तेजस्वी यादव Supreme Leader के रूप में सामने आए। इस बार मंच पर उनके साथ न लालू बैठे थे, न राहुल की परछाई थी। उन्होंने अकेले ही मोर्चा संभाला। दूसरी बात, तेजस्वी का मुकाबला नीतीश कुमार से है। पर तेजस्वी नीतीश से सीधी लड़ाई लड़ने से बचते दिखाई दिए। उन्होंने नीतीश कुमार को पुतला कहा। ये कहा कि उन्हें अफसर चलाते हैं, बीजेपी नीतीश कुमार का इस्तेमाल कर रही है, लेकिन नीतीश कुमार ने जितनी फुर्ती से तेजस्वी की बातों का जवाब दिया, उसने तेजस्वी के narrative पर पानी फेर दिया। तेजस्वी कई दिन से कह रहे हैं कि नीतीश कुमार बीमार हैं, लेकिन नीतीश कुमार चुनाव में पूरी तरह सक्रिय हैं। एक एक दिन में 4-4 रैलियां कर रहे हैं। उनको पुतला कहना लोगों के गले कैसे उतरेगा?
बिहार में मुस्लिम वोटर किधर जाएंगे?
तेजस्वी के सामने एक और चुनौती है। मुस्लिम वोटर को एकमुश्त अपने साथ बनाए रखना। इसीलिए वो बार-बार बीजेपी के बढ़ते control का डर दिखाते हैं। अगर ओवैसी और PK (प्रशांत किशोर) ने मुस्लिम वोटों में सेंध लगाई तो तेजस्वी के लिए बड़ी मुश्किल होगी। इसीलिए तेजस्वी यादव ने आज ये वादा किया कि अगर उनकी सरकार बनी तो मुसलमानों को उनका वाजिब हक मिलेगा लेकिन आज ही बिहार से दो ऐसी तस्वीरें आईं, जो तेजस्वी की टेंशन बढ़ाएंगी। कटिहार में महागठबंधन के उम्मीदवारों को मुस्लिम समाज के वोटर्स ने दौड़ा दिया। बलरामपुर सीट पर CPI-ML के महबूब आलम चुनाव मैदान में हैं। पिछले चुनाव में महबूब आलम ही जीते थे लेकिन आज कटिहार से कांग्रेस सांसद तारिक अनवर महबूब आलम के साथ प्रचार करने पहुंचे तो इलाके के लोगों ने उनके खिलाफ जमकर नारेबाज़ी शुरू कर दी।
लोगों ने महागठबंधन के नेताओं से कहा कि लोग उन्हें तीस साल से वोट दे रहे हैं, फिर भी इलाके में एक सड़क तक नहीं बनी, तो अब उन्हें वोट क्यों दें? महबूब आलम और तारिक अनवर ने लोगों को समझाने की कोशिश की, कहा बीस साल से बिहार में NDA की सरकार है, तो वो क्या कर सकते हैं। इस पर लोगों ने कहा कि जब वो कुछ कर ही नहीं सकते तो उन्हें वोट देना भी बेकार है। जनता ने जो सवाल किए उनका जवाब तारिक अनवर और महबूब आलम के पास नहीं था इसलिए दोनों नेता चुपचाप वहां से निकल गए। इसी तरह का नजारा सीतामढ़ी जिले की बाजपट्टी सीट में दिखा। यहां के RJD विधायक मुकेश कुमार यादव को लोगों की गालियां सुननी पड़ी। स्थानीय मुसलमानों ने मुकेश यादव के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। विधायक जी गाड़ी पर ही बैठे रहे। उनके सहयोगी नाराज़ जनता को मनाने आए लेकिन उन्हें भी भारी विरोध का सामना करना पड़ा। आखिरकार विधायक मुकेश कुमार यादव ने वहां से निकलने में ही अपनी भलाई समझी।
प्रशांत किशोर की नजर भी मुस्लिम वोटर्स पर है। प्रशांत किशोर अपने कैंपेन में मुसलमानों को औलाद का वास्ता देकर समझा रहे हैं कि इस बार बीजेपी से डर कर महागठबंधन के चक्कर में न फंसे, अपने बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखकर फैसला करें। AIMIM चीफ असदुद्दीन ने मंगलवार को तीन रैलियों को संबोधित किया। उनका फोकस उन्हीं इलाकों में है, जहां पिछले चुनाव में उनकी पार्टी के उम्मीदवार जीते थे। चूंकि AIMIM के पांच में चार विधायक बाद में RJD मे शामिल हो गये थे, ज्वाइन कर ली थी, इसलिए ओवैसी के निशाने पर अब तेजस्वी यादव और RJD हैं। ओवैसी अपनी हर सभा में कह रहे हैं कि RJD और कांग्रेस मुसलमानों का वोट लेकर उन्हें भूल जाती है, इसलिए अब मुसलमानों को अपना हक खुद लेना होगा। बिहार में करीब 18 प्रतिशत मुस्लिम वोटर हैं। मुस्लिम voters का असर करीब 70 सीटों पर निर्णायक होता है। सीमांचल के 4 जिले तो ऐसे हैं जहां मुस्लिम मतदाता बहुमत में हैं। किशनगंज में 68 प्रतिशत, कटिहार में 44%, अररिया में 43% और पूर्णिया में 38%।
इन 4 जिलों में कुल मिलाकर 24 विधानसभा सीटें हैं। चुनाव के नतीजों का विश्लेषण करने वाले बताते हैं कि करीब 76 प्रतिशत मुसलमानों ने पिछले विधानसभा चुनाव में RJD वाले गठबंधन को वोट दिया था लेकिन AIMIM वाले Grand Secular Front को 11% वोट मिले थे। नीतीश कुमार जब बीजेपी के साथ लड़ते हैं तो उन्हें 5% से 6% मुस्लिम वोट मिलते हैं। इस साल तेजस्वी के महागठबंधन ने 30 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं, जिनमें से 18 RJD से हैं और 10 कांग्रेस से। NDA में JDU ने 4 मुस्लिम उम्मीदवारों को उतारा है और चिराग पासवान ने एक को। इस मामले में प्रशांत किशोर एक बंद मुट्ठी हैं। उन्होंने सबसे ज्यादा 32 मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। तेजस्वी का डर सिर्फ यही है कि अगर पिछली बार की तरह ओवैसी की पार्टी को वोट मिले और प्रशांत किशोर को मुस्लिम वोट मिले तो फिर महागठबंधन का डब्बा गोल हो जाएगा। इसीलिए अपने घोषणापत्र में उन्होंने मुसलमानों से बड़े बड़े वादे किए और ये भी कह दिया कि अगर उनकी सरकार बनी तो बिहार में वक्फ कानून को लागू नहीं होने देंगे। लेकिन इस बात को सब समझते हैं कि ये कर पाना संभव नहीं होगा। (रजत शर्मा)
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