
भारतीय रुपये की कमजोरी अब सिर्फ करेंसी मार्केट तक सीमित नहीं रही है, बल्कि इसका सीधा असर शेयर बाजार पर भी दिखने लगा है। डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार फिसलता जा रहा है और निवेशकों की चिंता बढ़ती जा रही है। 16 दिसंबर को रुपया पहली बार 91 के लेवल को पार करते हुए 91.05 प्रति डॉलर तक पहुंच गया। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर रुपये में यह गिरावट थमी नहीं, तो भारतीय शेयर बाजार में चल रही रिकवरी की उम्मीदों को बड़ा झटका लग सकता है।
इस साल रुपया एशियाई बाजारों में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बन गया है। हालांकि देश की आर्थिक ग्रोथ मजबूत बनी हुई है और कॉर्पोरेट अर्निंग्स में सुधार के संकेत मिल रहे हैं, लेकिन कमजोर होता रुपया इन पॉजिटिव संकेतों पर भारी पड़ता नजर आ रहा है। विदेशी निवेशकों की बिकवाली ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। दिसंबर महीने में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने भारतीय शेयर बाजार से करीब 1.6 अरब डॉलर निकाल लिए हैं, जबकि इससे पहले के दो महीनों में उन्होंने निवेश किया था।
विदेशी फंडों की बिकवाली
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत अपनी कॉर्पोरेट ग्रोथ और करंट अकाउंट डेफिसिट को संभालने के लिए विदेशी पूंजी पर काफी हद तक निर्भर है। ऐसे में विदेशी फंडों की लगातार बिकवाली से बाजार पर दबाव बढ़ सकता है और रुपये पर भी एक्स्ट्रा असर पड़ता है। चॉइस वेल्थ के रिसर्च हेड अक्षत गर्ग के मुताबिक, वैश्विक अनिश्चितता, बढ़ते टैरिफ और कैपिटल फ्लो से जुड़ी चुनौतियों के चलते डॉलर की मांग बढ़ी है, जिससे रुपये में कमजोरी देखने को मिल रही है।
रुपये की गिरावट का असर
दिसंबर महीने में ही रुपया डॉलर के मुकाबले करीब 1.5 फीसदी गिर चुका है। वहीं, निफ्टी 50 नवंबर में अपने ऑल-टाइम हाई के करीब पहुंचने के बाद अब नीचे आ चुका है। कमजोर अर्निंग्स ग्रोथ, हाई वैल्यूएशंस और नई इन्वेस्टमेंट थीम्स की कमी पहले से ही बाजार को दबाव में रखे हुए हैं। ऐसे में रुपये की गिरावट बाजार के लिए एक नया सिरदर्द बन गई है। कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर यह ट्रेंड जारी रहा तो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) को बाजार में हस्तक्षेप करना पड़ सकता है।
कमजोर रुपये से किसे ज्यादा नुकसान
रुपये की कमजोरी से सभी सेक्टर्स को नुकसान नहीं होता। आईटी और फार्मा जैसे सेक्टर्स, जिनकी कमाई का बड़ा हिस्सा विदेश से आता है, उन्हें कमजोर रुपये का फायदा मिलता है। यही वजह है कि हाल के महीनों में आईटी शेयरों में मजबूती देखने को मिली है। बावजूद इसके, कुल मिलाकर कमजोर रुपया शेयर बाजार की रिकवरी के रास्ते में एक बड़ी चुनौती बनकर खड़ा होता नजर आ रहा है।
