
मोहम्मद बिन सलमान, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस।
दुबई: सऊदी अरब ने गुरुवार को यमन के अलगाववादी समूहों से उन दो प्रांतों से अपनी सेनाओं को वापस बुलाने को कहा है, जिन पर अब उनका नियंत्रण है। सऊदी के इस कदम से उस नाजुक गठबंधन के भीतर टकराव भड़का सकता है जो यमन में हूती विद्रोहियों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है।
क्रिसमस की सुबह जारी किया बयान
सऊदी अरब ने क्रिसमस की सुबह यह बयान जारी किया है। सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) द्वारा लंबे समय से समर्थित दक्षिणी ट्रांजिशनल काउंसिल (एसटीसी) पर सार्वजनिक दबाव बनाने का प्रयास लगता है। सऊदी अरब ने 2015 में हूथियों के खिलाफ शुरू किए गए युद्ध में यमन के अन्य लड़ाकू समूहों का समर्थन किया है, जिनमें नेशनल शील्ड फोर्सेस नामक बल भी शामिल है। सऊदी विदेश मंत्रालय ने चेतावनी देते हुए कहा, “राजशाही सभी यमनी गुटों और घटकों के बीच सहयोग की महत्वपूर्णता पर जोर देता है कि वे संयम बरतें और कोई भी ऐसा उपाय करने से बचें जो सुरक्षा तथा स्थिरता को अस्थिर कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप अवांछित नतीजे सामने आ सकते हैं।
दोनों प्रांतों के बाहर पूर्व स्थितियों में लौटें सेनाएं
काउंसिल ने कहा कि यमन के हदरमौत और महरा प्रांतों में अपनी सेनाएं आगे बढ़ाई हैं। सऊदी के बयान में कहा गया कि मध्यस्थता के प्रयास इस दिशा में किए जा रहे हैं कि काउंसिल की सेनाएं “दोनों प्रांतों के बाहर अपनी पिछली स्थितियों में वापस लौटें और उन क्षेत्रों में स्थित शिविरों को” नेशनल शील्ड फोर्सेस के हवाले कर दें। मंत्रालय ने आगे कहा, “स्थिति को उसके पूर्ववत हालात में बहाल करने के लिए ये प्रयास जारी हैं। काउंसिल ने हालिया समय में दक्षिण यमन का झंडा तेजी से फहराना शुरू कर दिया है, जो 1967 से 1990 में देश के एकीकरण तक एक अलग राष्ट्र था। इससे पड़ोसी सऊदी अरब और यूएई के बीच संबंधों पर भी दबाव बढ़ा है, जो निकट संबंध बनाए रखते हैं, लेकिन हाल के वर्षों में प्रभाव और कारोबार के लिए अधिक तीव्रता से प्रतिस्पर्धा भी कर रहे हैं।(एपी)
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