• प्रतिष्ठित पत्रिका ‘द लैंसेट इन्फेक्शियस डिजीज जर्नल’ में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार पशुओं के काटने की हर 4 में से 3 घटनाओं में कुत्ते शामिल होते हैं और भारत में रेबीज के कारण हर साल 5700 से अधिक लोगों की मृत्यु होने का अनुमान है।

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    प्रतिष्ठित पत्रिका ‘द लैंसेट इन्फेक्शियस डिजीज जर्नल’ में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार पशुओं के काटने की हर 4 में से 3 घटनाओं में कुत्ते शामिल होते हैं और भारत में रेबीज के कारण हर साल 5700 से अधिक लोगों की मृत्यु होने का अनुमान है।

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    भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने मार्च 2022 से अगस्त 2023 तक देशभर के 15 राज्यों के 60 जिलों में एक सर्वेक्षण किया।

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    इस दौरान 78,800 से अधिक परिवारों में 3,37,808 व्यक्तियों से परिवार में पशुओं के काटने, एंटी-रेबीज टीकाकरण और पशुओं के काटने से होने वाली मौतों के बारे में पूछा गया।

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    ICMR-राष्ट्रीय महामारी विज्ञान संस्थान, चेन्नई के शोधकर्ताओं समेत विभिन्न शोधकर्ताओं ने पाया कि पशुओं के काटने की हर चार में से तीन घटनाओं के लिए कुत्ते जिम्मेदार थे।

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    सर्वेक्षण में शामिल 2,000 से अधिक लोगों ने पशुओं के काटने की पूर्व की घटना के बारे में जानकारी दी, जिनमें से 76.8 प्रतिशत (1,576) घटनाओं में कुत्तों ने काटा।

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    शोध के लेखकों ने कहा कि प्रति हजार लोगों में से 6 को किसी जानवर ने काटा है, ‘जिसका अर्थ है कि राष्ट्रीय स्तर पर 91 लाख लोगों को जानवर काट चुके हैं। हमारा अनुमान है कि भारत में प्रतिवर्ष रेबीज से 5,726 लोगों की मृत्यु होती है।’

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    रिसर्च राइटर्स ने कहा कि इन अनुमानों से यह समझने में मदद मिल सकती है कि देश 2030 तक मनुष्यों में कुत्तों से होने वाले रेबीज के मामलों को समाप्त करने के वैश्विक लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है या नहीं।





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