Ahmedabad Airport

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अहमदाबाद एयरपोर्ट से निर्वासितों को गुजरात पुलिस की गाड़ी में ले जाया गया

(इनपुट- पीटीआई/एएनआई) अमेरिकी वायुसेना का विमान 100 से ज्यादा भारतीयों को लेकर अमृतसर पहुंच चुका है। अमेरिकी सरकार के अनुसार ये सभी लोग अवैध रूप से अमेरिका में रह रहे थे। इस वजह से इन्हें वापस इनके देश लाया गया है। अमेरिका से भारत आए लोगों में कई गुजरात से हैं। ये लोग गुरुवार सुबह अमृतसर से अहमदाबाद एयरपोर्ट पहुंचे। अमेरिकी वायुसेना का विमान बुधवार को भारत पहुंचा था। इस बीच अमेरिका से वापस लौटे एक व्यक्ति ने दावा किया है कि प्लेन में इन लोगों को हथकड़ी और बेड़ियां पहनाई गई थीं।

अमेरिकी विमान से बुधवार को लाए गए 104 निर्वासितों में शामिल जसपाल सिंह ने दावा किया कि पूरी यात्रा के दौरान उन्हें (निर्वासित प्रवासियों के) हथकड़ी और पैरों में बेड़ियां बांधी गईं तथा अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरने के बाद ही उन्हें हटाया गया। गुरदासपुर जिले के हरदोरवाल गांव के रहने वाले 36 वर्षीय सिंह ने बताया कि 24 जनवरी को अमेरिकी सीमा पार करने के बाद उन्हें अमेरिकी सीमा गश्ती दल ने पकड़ लिया था।

बुधवार को अमृतसर पहुंचा था अमेरिकी विमान

विभिन्न राज्यों से 104 अवैध प्रवासियों को लेकर एक अमेरिकी सैन्य विमान बुधवार को भारत पहुंचा। अवैध प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई के तहत डोनाल्ड ट्रंप सरकार द्वारा वापस भेजा गया यह भारतीयों का पहला जत्था है। सूत्रों ने बताया कि इनमें से 33-33 हरियाणा और गुजरात से, 30 पंजाब से, तीन-तीन महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से तथा दो चंडीगढ़ से हैं। उन्होंने बताया कि निर्वासित लोगों में 19 महिलाएं और 13 नाबालिग शामिल हैं, जिनमें एक चार वर्षीय लड़का और पांच व सात वर्ष की दो लड़कियां शामिल हैं। 

ट्रैवल एजेंट ने की थी धोखाधड़ी

पंजाब के निर्वासित लोगों को अमृतसर हवाई अड्डे से पुलिस वाहनों में उनके मूल स्थानों तक ले जाया गया। बुधवार रात अपने गृह नगर पहुंचने के बाद जसपाल ने बताया कि एक ट्रैवल एजेंट ने उनके साथ धोखाधड़ी की है, क्योंकि उनसे वादा किया गया था कि उन्हें कानूनी तरीके से अमेरिका भेजा जाएगा। जसपाल ने कहा, “मैंने एजेंट से कहा था कि वह मुझे उचित वीजा (अमेरिका के लिए) के साथ भेजे। लेकिन उसने मुझे धोखा दिया।” उन्होंने बताया कि सौदा 30 लाख रुपए में हुआ था। जसपाल ने दावा किया कि वह पिछले साल जुलाई में हवाई जहाज से ब्राजील पहुंचा था। उसने कहा कि वादा किया गया था कि अमेरिका की अगली यात्रा भी हवाई जहाज से ही होगी। हालांकि उसके एजेंट ने उसे “धोखा” दिया, जिसने उसे अवैध रूप से सीमा पार करने के लिए मजबूर किया। 

11 दिन हिरासत में रहने के बाद वापस लौटा

ब्राजील में छह महीने रहने के बाद वह सीमा पार कर अमेरिका चला गया, लेकिन अमेरिकी सीमा गश्ती दल ने उसे गिरफ्तार कर लिया। जसपाल ने बताया कि उसे वहां 11 दिनों तक हिरासत में रखा गया और फिर वापस घर भेज दिया गया। जसपाल ने कहा कि उसे नहीं पता था कि भारत भेजा जा रहा है। उसने दावा किया, “हमने सोचा कि हमें किसी दूसरे शिविर में ले जाया जा रहा है। फिर एक पुलिस अधिकारी ने हमें बताया कि भारत ले जाया जा रहा है। हमें हथकड़ी लगाई गई और पैरों में बेड़ियां डाल दी गईं। इन्हें अमृतसर हवाई अड्डे पर खोला गया।” जसपाल ने कहा कि निर्वासन से वह टूट गए हैं। “बड़ी रकम खर्च हुई। पैसे उधार लिए गए थे।” बुधवार रात को होशियारपुर स्थित अपने गृह नगर पहुंचे दो अन्य निर्वासितों ने भी अमेरिका पहुंचने के दौरान उन्हें हुई कठिनाइयों के बारे में बताया। 

42 लाख खर्च कर अमेरिका पहुंचे

होशियारपुर के टाहली गांव के रहने वाले हरविंदर सिंह ने बताया कि वह पिछले साल अगस्त में अमेरिका के लिए रवाना हुए थे। उन्हें कतर, ब्राजील, पेरू, कोलंबिया, पनामा, निकारागुआ और फिर मैक्सिको ले जाया गया। उन्होंने बताया कि मैक्सिको से उन्हें अन्य लोगों के साथ अमेरिका ले जाया गया। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “हमने पहाड़ियां पार कीं। एक नाव, जो उन्हें अन्य व्यक्तियों के साथ ले जा रही थी, समुद्र में डूबने वाली थी, लेकिन हम बच गए।” सिंह ने कहा कि उन्होंने एक व्यक्ति को पनामा के जंगल में मरते हुए तथा एक को समुद्र में डूबते हुए देखा। सिंह ने बताया कि उनके ट्रैवल एजेंट ने वादा किया था कि उन्हें पहले यूरोप और फिर मैक्सिको ले जाया जाएगा। उन्होंने बताया कि अमेरिका की अपनी यात्रा के लिए उन्होंने 42 लाख रुपए खर्च किए। 

17-18 पहाड़ियां पार कर अमेरिका पहुंचे

हरविंदर ने कहा, “कभी-कभी हमें चावल मिल जाता था। कभी-कभी हमें खाने को कुछ नहीं मिलता था। हमें बिस्कुट मिलते थे।” पंजाब से निर्वासित एक अन्य व्यक्ति ने अमेरिका जाने के लिए इस्तेमाल किए गए ‘डंकी रूट’ के बारे में बताया। उन्होंने कहा, “रास्ते में हमारे 30,000-35,000 रुपये के कपड़े चोरी हो गए।” निर्वासित व्यक्ति ने बताया कि उसे पहले इटली और फिर लैटिन अमेरिका ले जाया गया। उन्होंने बताया कि नाव से 15 घंटे लंबी यात्रा करनी पड़ी और 40-45 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। उन्होंने कहा, “हमने 17-18 पहाड़ियां पार कीं। अगर कोई फिसल जाता तो उसके बचने की कोई संभावना नहीं होती। हमने बहुत कुछ देखा है। अगर कोई घायल हो जाता तो उसे मरने के लिए छोड़ दिया जाता था। हमने लाशें देखीं।” 

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