Anupam Kher
Image Source : INSTAGRAM
अनुपम खेर

बॉलीवुड एक्टर अनुपम खेर 70 साल की उम्र में भी किसी युवा की तरह जोश से भरे नजर आते हैं। अपने करियर में 450 से ज्यादा फिल्में कर चुके अनुपम खेर ने शनिवार को देश के सबसे पॉपुलर टीवी शो आप की अदालत में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। इसके साथ ही यहां इंडिया टीवी के चेयरमैन और एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा के सवालों के जवाब दिए। आप की अदालत में अनुपम खेर ने अपनी जिंदगी के तमाम सुनहरे पलों को शेयर किया और अपने पिता की गौरवान्वित यादें भी साझा की। साथ ही अनुपम ने बताया कि कैसे एक बार उन्हें अपने पिता के लिए अपनी नींद का त्याग कर लोगों को फोन पर ही डायलॉग सुनाकर अपनी पहचान का सबूत देना पड़ा था। 

क्या बोले अनुपम खेर?

जब रजत शर्मा ने पूछा कि क्या उनके पिता उनकी फिल्में देखते थे, तो अनुपम खेर ने जवाब दिया, ‘मेरे पिता मेरे सबसे बड़े फ़ैन थे, वे मेरी सबसे बुरी फिल्मों की भी तारीफ करते थे। उन्हें हवाई जहाज पसंद नहीं ट्रेन में सफर करना पसंद नहीं था। वे ट्रेन में सफर करते थे। सफर में जब वे आसपास बैठे लोगों से कहते थे कि अनुपम खेर मेरा बेटा है लोग उनकी बात पर यकीन नहीं करते थे। लोगों में एक साइकोलॉजिकल फीलिंग होती है, लोग सोचते हैं कि इतने मशहूर अभिनेता का पिता है तो ट्रेन में क्यों सफर कर रहा है। एक बार रात के 2.30 बजे पिताजी ने मुझे फोन किया और कहा, ‘बिट्टू, ये मल्होत्रा साहब तुमसे बात करना चाहते हैं, इन्हें यकीन नहीं हो रहा कि तू मेरा बेटा है। तू बात कर।’ मैंने कहा हां जी मैं इनका बेटा हूं। इस पर उन्होंने कहा ‘हमें कैसे पता चलेगा कि तुम अनुपम खेर हो? डायलॉग सुनाओ।’ अब रात 2.30 बजे मैं डायलॉग सुना रहा हूं, ‘राणा विश्व प्रताप सिंह, डॉक्टर डैंग को आज पहली बार किसी ने थप्पड़ मारा है। इस थप्पड़ की गूंज जब तक तुम जिंदा रहोगे, सुनाई देगी।’ फिर उस आदमी ने कहा, ‘हां जी, पता लग गया, आप अनुपम खेर हो।’

अनुपम खेर पर गर्व से फूले नहीं समाते थे पिता

अनुपम खेर ने बताया, ‘मेरे पिता जी एक संदूक रखते थे। किसी को भी उस संदूक को खोलने की इजाज़त नहीं थी। जब 10 फरवरी, 2012 को मेरे पिता का निधन हुआ, तो हमने संदूक को खोला और देखा कि उसमें हमारे सारे प्रेस कटिंग, अखबारों और मैग्जीन की मेरी सारी प्रेस क्लिपिंग, मेरे कार्ड, मेरी ट्रॉफियां थीं। वह मेरे बारे में सबसे बुरे से बुरे रिव्यू को भी को भी अंडरलाइन कर देते थे। यह था मेरे फ़ादर की मोहब्बत मेरे लिए।’ अपने पिता के अंतिम दिनों के बारे में पूछे जाने पर, अनुपम खेर ने खुलासा किया,  ‘मेरे पिता को अजीब सी बीमारी हुई। वो भूखे चले गए। उनके लिए भोजन रेत की तरह था और पानी तेजाब की तरह। वह बहुत कमजोर हो गए थे। डॉक्टरों ने हमें उन्हें घर ले जाने की सलाह दी। मैं डेविड धवन के बेटे की शादी में शामिल होने के लिए गोवा पहुंचा तब मेरे भाई ने मुझे फोन किया और मुझे तुरंत आने के लिए कहा। मैंने तुरंत फ्लाइट पकड़ी, और जब मैं घर पहुंचा, तो मैंने अपने पिता को बिस्तर पर लेटे हुए देखा। वे कलम और कागज को अपनी छाती पर रखे हुए। बहुत कमजोर हो गए थे। वह बोल नहीं पा रहे थे।

वह मुझे घूरते रहे, और फिर कुछ लिखने लगे। करीब 10-15 मिनट तक लिखने लगे। जब मैंने कागज देखा, तो उसमें केवल लाइनें थीं। उनके पास शब्द लिखने की कोई ताकत नहीं बची थी। मैंने उन्हें यह कहकर शांत करने की कोशिश की, ‘पापा, आप सही कह रहे हैं’। वो थोड़े निराश थे। उन्होंने मुझे पास बुलाया, मैंने अपने कान उनके मुंह के पास रखा। वह इंसान जो 20 मिनट बाद मरने वाला था,  मेरे लिए उनके आखिरी दो शब्द थे: ‘Live Life’ (अनुपम खेर AKA शो में रोने लगे)। एक पिता अपने बेटे को और क्या Lesson दे सकता है? इसीलिए मैं हर क्षण, हर पल, जी के दिखता हूं। मेरे पिता एक साधारण इंसान थे, वे वन विभाग में क्लर्क के पद पर थे। मेरे दादा एक असाधारण व्यक्ति थे, वे एक विद्वान और योग शिक्षक थे।

Latest Bollywood News





Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version