
सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली: शारदा यूनिवर्सिटी और IIT खड़गपुर में स्टूडेंट द्वारा आत्महत्या से जुड़े मामले को सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान में लिया है। कोर्ट ने इस मामले को संज्ञान में लेते हुए एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की और कहा कि शिक्षा व्यवस्था में कुछ गड़बड़ है। सुप्रीम कोर्ट ने IIT खड़गपुर, शारदा यूनिवर्सिटी से छात्रों की आत्महत्या पर रिपोर्ट मांगी है।
अगली सुनवाई सोमवार को
इस मामले में अगली सुनवाई अगले सप्ताह सोमवार को होगी। वहीं इस मामले में जस्टिस जेबी पारडीवाला और आर महादेवन की पीठ ने कहा, “कुछ न कुछ गड़बड़ है।” दोनों संस्थानों से पूछा गया कि क्या मामलों की सूचना समय पर पुलिस को दी गई थी? कोर्ट ने पूछा कि क्या एफआईआर दर्ज की गई और पुलिस को तुरंत सूचित किया गया?
सीनियर एडवोकेट अपर्णा भट्ट को अमिकस क्यूरी नियुक्त कर अदालत को विस्तृत जानकारी देने का निर्देश दिया गया है।
शारदा यूनिवर्सिटी और IIT खड़गपुर में स्टूडेंट द्वारा आत्महत्या का क्या मामला है?
शारदा यूनिवर्सिटी और IIT खड़गपुर में हाल ही में हुई छात्र आत्महत्याओं ने शैक्षणिक संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य और दबाव से संबंधित गंभीर मुद्दों को उजागर किया है। दोनों मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है ।
18 जुलाई 2025 को ग्रेटर नोएडा की शारदा यूनिवर्सिटी में बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी (BDS) की द्वितीय वर्ष की 21 वर्षीय छात्रा ज्योति झंगड़ा ने अपने हॉस्टल के कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। ज्योति ने अपने सुसाइड नोट में दो फैकल्टी सदस्यों पर मानसिक उत्पीड़न और अपमान का आरोप लगाया। नोट में लिखा था कि इन शिक्षकों ने उन्हें लंबे समय तक तनाव में रखा और अपमानित किया, जिसके कारण उन्होंने यह कदम उठाया।
वहीं 18 जुलाई 2025 को IIT खड़गपुर में मैकेनिकल इंजीनियरिंग के चौथे वर्ष के 21 वर्षीय छात्र रितम मंडल अपने हॉस्टल (राजेंद्र प्रसाद हॉल) के कमरे में फांसी से लटके पाए गए। यह 2025 में संस्थान में चौथी आत्महत्या थी। रितम कोलकाता के रहने वाले थे और JEE एडवांस्ड के माध्यम से IIT में दाखिला लिया था। वह BTech-MTech ड्यूल डिग्री प्रोग्राम में थे और मशीन लर्निंग, डेटा साइंस और स्टॉक मार्केट में रुचि रखते थे।