केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) में बदलाव करते हुए जरूरी और महत्वपूर्ण सुधार किए हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसकी जानकारी दी। शिवराज सिंह चौहान ने इन सुधारों की घोषणा करते हुए आंध्र प्रदेश की पिछली जगन रेड्डी सरकार की वजह से किसानों को हुए नुकसान का जिक्र किया। सरकार इन बदलावों से राज्य सरकारों की चूक के कारण किसानों को होने वाले नुकसान से बचाना और उचित लाभ पहुंचाना है। बताते चलें कि राजस्थान के नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने संसद में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लेकर सरकार से सवाल किए थे।
आंध्र प्रदेश के किसानों को हुआ था भारी नुकसान
हनुमान बेनीवाल के प्रश्न का उत्तर देते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि मोदी सरकार ने पूर्ववर्ती राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (NAIS) को PMFBY में बदल दिया, जिसमें किसानों को हुए नुकसान के दावों का 21 दिनों के अंदर निपटान करने का आदेश दिया गया। इसके बाद उन्होंने आंध्र प्रदेश में उभरे एक गंभीर मुद्दे पर प्रकाश डाला। कृषि मंत्री ने कहा, ”कुछ राज्यों ने घोषणा की थी कि वे किसान बीमा प्रीमियम का खर्च खुद उठाएंगे। लेकिन, आंध्र प्रदेश में तत्कालीन जगन सरकार लगातार 3 सालों तक प्रीमियम में अपने राज्य के हिस्से का योगदान करने में विफल रही। जिसकी वजह से आंध्र प्रदेश के किसानों को भारी नुकसान हुआ क्योंकि उन्हें उनके उचित फसल बीमा का लाभ नहीं मिला।”
राज्यों को देना पड़ेगा 12 प्रतिशत का ब्याज
शिवराज सिंह चौहान ने किसानों के प्रति केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए, शिवराज सिंह ने कहा कि इस “बुरे अनुभव” के कारण प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में मूलभूत संशोधन करना पड़ा। संशोधित प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत, केंद्र सरकार अब फसल बीमा के लिए अपना हिस्सा देगी, चाहे राज्य सरकार अपना प्रीमियम अंशदान पूरा करे या नहीं। मंत्री ने कहा, “अगर कोई राज्य सरकार अपना हिस्सा नहीं देती है तो उस पर 12% का ब्याज लगाया जाएगा और वह राशि सीधे किसानों के खातों में जमा की जाएगी। सरकार के इस कदम का उद्देश्य राज्य स्तर पर अधिकारियों द्वारा की जाने वाली देरी और राजनीतिक निष्क्रियता से किसानों की रक्षा करना है, ताकि उन्हें समय पर फसल बीमा का लाभ मिल सके।