बैरिकेडिंग पर चढ़े अखिलेश यादव- India TV Hindi
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बैरिकेडिंग पर चढ़े अखिलेश यादव

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और लोकसभा सांसद अखिलेश यादव आज दिल्ली में विरोध-प्रदर्शन के दौरान पुलिस बैरिकेड पर चढ़ गए। यह घटना उस समय हुई जब दिल्ली पुलिस ने संसद भवन से भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) तक इंडिया ब्लॉक के नेताओं के विरोध मार्च को रोकने की कोशिश की। विपक्षी नेता बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) और 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान “मतदाता धोखाधड़ी” के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। संसद के मॉनसून सत्र के दौरान विपक्षी दलों ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर विरोध जताया है। इस प्रक्रिया को लेकर इंडिया ब्लॉक के नेताओं ने आरोप लगाया कि यह अभियान एक “राजनीतिक साजिश” है, जिसके तहत गरीब, दलित, अल्पसंख्यक और विपक्ष समर्थक मतदाताओं के नाम जानबूझकर मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं। 

अखिलेश यादव ने क्या कहा

आज सुबह संसद भवन के मकर द्वार पर शुरू हुआ प्रोटेस्ट मार्च उस समय और तेज हो गया जब दिल्ली पुलिस ने ट्रांसपोर्ट भवन के बाहर बैरिकेड्स लगाकर इंडिया ब्लॉक के नेताओं को रोकने की कोशिश की। इस दौरान अखिलेश यादव ने पुलिस बैरिकेड को लांघकर अपनी नाराजगी जाहिर की। इस दौरान उनके साथ कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और अन्य विपक्षी नेता भी मौजूद थे। अखिलेश यादव ने इस मौके पर कहा, “चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है, लेकिन इसका इस्तेमाल अब राजनीतिक हितों के लिए किया जा रहा है। बिहार में मतदाता सूची से गरीबों और हाशिए पर पड़े लोगों के नाम हटाए जा रहे हैं, जो लोकतंत्र पर हमला है।” उन्होंने उत्तर प्रदेश के कुंदरकी, मीरापुर और अयोध्या के मिल्कीपुर उपचुनावों का हवाला देते हुए कहा कि वहां भी पुलिस और प्रशासन ने मिलकर “चुनाव लूटने” का काम किया।

विपक्ष के आरोप और सत्ता पक्ष का जवाब

विपक्ष का दावा है कि एसआईआर प्रक्रिया के तहत बिहार में 7.9 करोड़ मतदाताओं की जांच की जा रही है, जिसमें बिना ठोस आधार के नाम हटाए जा रहे हैं। कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा, “ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि चुनाव से पहले इतनी बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम हटाए गए हों। यह लोकतंत्र की हत्या है।” वहीं, सत्ता पक्ष ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे नियमित प्रक्रिया बताया। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, “विपक्ष को रोहिंग्याओं और बांग्लादेशियों की चिंता है। मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करना चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है।”

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