जमीन धंसने का मामला- India TV Hindi
Image Source : PTI
जमीन धंसने का मामला

जम्मू क्षेत्र के पीर पंजाल और शिवालिक पर्वतमाला में रहने वाले लोगों ने यह मानकर अपने सपनों का घर बनाया था कि पहाड़ उन्हें आश्रय देंगे, लेकिन अब वे अपने गांव छोड़ने को मजबूर हैं जो भारी बारिश के कारण भूमि धंसने की वजह से “डूबने” लगे हैं। रामबन, रियासी, जम्मू और पुंछ के 11 गांव पांच सितंबर से उत्तराखंड के जोशीमठ जैसे संकट का सामना कर रहे हैं, जहां घरों में दरारें आ गई हैं, खेत तबाह हो रहे हैं और परिवार भय व अनिश्चितता के कारण अपने पुश्तैनी घरों को छोड़ रहे हैं। 

जमीन धंसने से 22 से 25 घर और स्कूल भी क्षतिग्रस्त

अधिकारियों ने बताया कि इन गांवों में 3,000 से अधिक लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं। रामबन जिले के सवलाकोट जलविद्युत परियोजना के पास तंगर गांव में जमीन धंसने से 22 से 25 घर और एक सरकारी हाई स्कूल क्षतिग्रस्त हो गया है, जबकि चार किलोमीटर के क्षेत्र में 140 और घर खतरे में हैं। 

डर और दहशत में जी रहे लोग

तंगर के निवासी रवि कुमार ने कहा, ‘यह हमारे लिए एक बड़ा झटका है। पहले तो हम अगस्त के अंत में भारी बारिश के कारण बादल फटने, अचानक बाढ़ और भूस्खलन के खतरे की वजह से डर और दहशत में जी रहे थे। इसके बाद हमारे घरों में अचानक दरारें पड़ गईं और बाद में अधिकांश घरों को नुकसान पहुंचा।’

रोज का रोज बढ़ रहीं दरारें

रवि का परिवार अब घर गिरने के डर से तंबू में रह रहा है। उन्होंने कहा कि उनके पास रहने के लिए कोई जगह नहीं है। रवि ने कहा, ‘सर्दियां आ रही हैं, और पूरा इलाका असुरक्षित है। जमीन धंसती जा रही है और दरारें रोज बढ़ती जा रही हैं, जिससे गांव मिट सकता है।’ 

सुरक्षित जगह जा रहे लोग

इसी तरह 1 जनवरी, 2024 को अपने नए मकान में प्रवेश करने वाले अनिल कुमार ने कहा कि वे गांव छोड़कर किसी सुरक्षित जगह पर जा रहे हैं क्योंकि उनका घर कई दरारों के कारण असुरक्षित हो गया है। उन्होंने कहा, ‘वर्षों की मेहनत के बाद यह घर बनाया था। अब सपनों का घर खो गया है। दरारें चौड़ी होने के कारण यह कभी भी गिर सकता है।’

जोशीमठ की तरह यहां भी समस्या

गांव के एक इंजीनियर सुनील कुमार ने कहा कि जोशीमठ में पहली बार देखी गई यह आपदा अब तंगर समेत कई गांवों को प्रभावित कर रही है, जहां ज़मीन धंस रही है, दरारें पड़ रही हैं और नुकसान हो रहा है। रामबन के विधायक अर्जुन सिंह राजू, उपायुक्त इलियास खान और अन्य अधिकारियों ने शनिवार को नुकसान का आकलन करने के लिए घटनास्थल का दौरा किया। खान ने कहा कि एक बड़ा इलाका ‘धंस रहा है’, कई मकानों में दरारें पड़ गई हैं। 

स्थिति पर रखी जा रही कड़ी नजर

उन्होंने कहा, ‘स्कूल बंद हैं, और विस्थापित निवासियों को एनएचपीसी के क्वार्टरों में रखा गया है। स्थिति पर कड़ी नज़र रखी जा रही है।’ एक अन्य निवासी बानो बेगम ने स्थिति को भयावह बताते हुए कहा, ‘हम कभी अपने घरों और जमीन से अपने परिवारों का पेट भरते थे, लेकिन अब सब कुछ खत्म हो गया है।’ 

सड़कों पर रहने को मजबूर लोग

उन्होंने कहा, ‘करीब 100 मकान और 1,000 कनाल ज़मीन प्रभावित हुई है, और एक बारहमासी झरना गायब हो गया है, जिससे संभवतः यह आपदा आई है।’ एक स्थानीय मजदूर यासिर ने कहा, ‘हम सड़कों पर रहते हैं, डर के साये में काम करते हुए अपने बच्चों को पालते हैं। हमें अपने गांव के पुनर्निर्माण के लिए पुनर्वास और सुरक्षित जमीन की जरूरत है। (भाषा के इनपुट के साथ)





Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version