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रितु जायसवाल

बिहार विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) में बड़ा बवाल मचा हुआ है। RJD के कई नेता टिकट नहीं मिलने से नाराज हो गए। कई बागी हो गए और निर्दलीय अपना नामांकन भर दिया। इनमें सबसे चर्चित महिला नेता रितु जायसवाल ने खुलेआम आरजेडी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सीतामढ़ी की परिहार सीट से निर्दलीय कैंडिडेट रितु जायसवाल नॉमिनेशन के बाद हुई सभा में फूट-फूटकर रोने लगीं।

रितु जायसवाल ने कार्यकर्ताओं से भावुक अपील के साथ लालू यादव और तेजस्वी यादव से भी झोली फैलाकर समर्थन मांगा तो परिहार सीट से वर्तमान विधायक के हार की भविष्यवाणी भी की। रितु जायसवाल ने कहा कि आरजेडी की ऑफिशियल कैंडिडेट  परिहार से जीतने नहीं जा रही है।

क्यों बेटिकट हुईं रितु?

दरअसल, रितु जायसवाल 2020 में परिहार सीट से आरजेडी की कैंडिडेट रह चुकी है लेकिन इस बार जब पार्टी ने रितु जायसवाल को बेटिकट कर दिया तो उन्होनें  निर्दलीय कैंडिडेट के तौर पर ताल ठोंक दी। रितु ने सोमवार को नामांकन के आखिरी दिन पर्चा दाखिल किया। इस दौरान वह बेहद भावुक दिखीं। वहीं लोगों को संबोधित करते हुए फूट-फूटकर रो पड़ीं। उन्होंने आरोप लगाया कि वो राजनीतिक साजिश की शिकार हुई हैं। परिहार से पूर्व मुखिया रहीं आरजेडी की एक्टिव महिला कार्यकर्ता रितु जायसवाल को आरजेडी ने बेलसंड से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया था लेकिन वह परिहार से लड़ने पर अड़ गईं, जिस वजह से पार्टी ने उनको बेटिकट कर दिया।

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रितु जायसवाल ने निर्दलीय अपना नामांकन भर दिया।

कौन हैं रितु जायसवाल?

रितु जायसवाल का जन्म 1 मार्च 1977 को हाजीपुर (वैशाली) में हुआ था। रितु बिहार की एक चर्चित महिला नेता हैं जिन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत एक शिक्षित मुखिया के रूप में की थी। वह पूर्व सिविल सेवक (IAS रैंक) अरुण कुमार की पत्नी हैं। अरुण कुमार ने भी सरकारी सेवा से इस्तीफा देकर गांव की सेवा का रास्ता चुना था। अरुण कुमार ने वॉलंटरी रिटायरमेंट (VRS) लिया था और इसके बाद शिक्षा व ग्रामीण विकास के क्षेत्र में काम करना शुरू किया। वह आज भी बिहार में छात्रों को मुफ्त कोचिंग देकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में मदद करते हैं।

“मुखिया दीदी” के नाम से जानी जाती हैं

रितु जायसवाल ने सिंहवाहिनी पंचायत की मुखिया के रूप में जिस तरह से ग्रामीण विकास के काम किए, उसकी चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर हुई। रितु ने शिक्षा, सड़क, जल-निकासी, स्वच्छता और महिला स्वावलंबन जैसे मुद्दों पर कई सफल योजनाएं चलाईं। ग्रामीणों की भागीदारी से पंचायत को एक मॉडल के रूप में विकसित किया, जिसके चलते उन्हें “मुखिया दीदी” के नाम से भी जाना जाता है।

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रितु जायसवाल

2 बार झेलनी पड़ीं हार

इसके बाद आरजेडी ने रितु को 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में परिहार सीट से मैदान में उतारा, जहां उन्हें बेहद कम अंतर से हार का सामना करना पड़ा। महज 1549 वोटों से वह हार गईं। इसके बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में भी वह शिवहर सीट से आरजेडी उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरी थीं। लेकिन इसमें उन्हें जेडीयू प्रत्याशी लवली आनंद से हार मिली। लेकिन लगातार दो चुनावों में दमदार उपस्थिति दर्ज कराने के बाद उन्होंने अपने क्षेत्र में मजबूत जनाधार बना लिया है।

बेटिकट होने पर किया ऐसा Tweet

वह RJD महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष हैं और पार्टी की सक्रिय महिला नेताओं में से एक मानी जाती हैं। 19 अक्टूबर को जब पार्टी ने परिहार सीट से डॉ. रामचंद्र पूर्वे की बहू स्मिता पूर्वे को टिकट दिया, तो रितु जायसवाल ने इसे अन्याय करार दिया। इसके बाद उन्होंने X पर लिखा – “परिहार को छोड़कर किसी अन्य क्षेत्र से चुनाव लड़ना मेरी आत्मा को स्वीकार नहीं। यह फैसला आसान नहीं है, लेकिन यह मेरे मन की आवाज और परिहार की जनता की भावना है।” 

रितु जायसवाल के नामांकन के बाद सीतामढ़ी की सियासत में नई हलचल शुरू हो गई है। ऐसे में परिहार सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उनका मुकाबला अब दिलचस्प होने वाला है।

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