
सांकेतिक तस्वीर
अहमदाबाद: एक दर्जी का टूटा हुआ वादा उसे 7,000 रुपये का घाटा करा गया, क्योंकि वह शादी के लिए ब्लाउज समय पर नहीं दे सका। इस घटना ने एक खुशहाल पारिवारिक समारोह को उपभोक्ता अदालत के मामले में बदल दिया। उपभोक्ता अदालत ने टेलर पर सात हजार रुपये जुर्माना लगाया है।
रिश्तेदार की शादी में जाने के लिए ब्लाउज सिलने को दिया था
अहमदाबाद की एक महिला ग्राहक ने अपने रिश्तेदार की शादी के लिए 24 दिसंबर 2024 को पहनने हेतु एक पारंपरिक ब्लाउज सिलवाने का ऑर्डर दिया था। उसने पिछले महीने ही दर्जी को ₹4,395 अग्रिम में दे दिए थे। लेकिन जब वह 14 दिसंबर को ऑर्डर लेने गई, तो पाया कि ब्लाउज उसकी बताई गई डिज़ाइन के अनुसार नहीं सिला गया था। दर्जी ने उसे भरोसा दिलाया कि वह गलती सुधार देगा, लेकिन 24 दिसंबर बीत गया और ब्लाउज कभी नहीं मिला।
कोर्ट ने इस वजह से दर्जी को दोषी ठहराया
इसके बाद महिला ने दर्जी को कानूनी नोटिस भेजा, उपभोक्ता शिकायत दर्ज की लेकिन दर्जी उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, अहमदाबाद (अतिरिक्त) में पेश नहीं हुआ। आयोग ने दर्जी की ओर से ब्लाउज न देने को “सेवा में स्पष्ट कमी” माना, जिससे शिकायतकर्ता को “मानसिक उत्पीड़न” झेलना पड़ा। अदालत ने आदेश दिया कि दर्जी 4,395 रुपये राशि 7% वार्षिक ब्याज सहित लौटाए, साथ ही मानसिक कष्ट और वाद व्यय के लिए अतिरिक्त मुआवजा भी अदा करे।
केरल में भी दुकानदार के खिलाफ हुआ था एक्शन
इससे पहले केरल के कोच्चि में इसी साल अप्रैल में एर्नाकुलम डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन ने एक टेलरिंग फर्म को एक कस्टमर को बताए गए तरीके से शर्ट न सिलने पर 15 हजार रुपये हर्जाना देने का आदेश दिया था। अगस्त 2023 में, शिकायत करने वाले ने दुकान से खास नाप की नई शर्ट बनवाने का अनुरोध किया। हालांकि, शिकायत करने वाले ने कोर्ट को बताया कि सिली हुई शर्ट का नाप पूरी तरह से गलत था, जिससे वह इस्तेमाल करने लायक नहीं थी।
जनवरी 2024 में, शिकायत करने वाले ने शर्ट ठीक करवाने के लिए दुकान से संपर्क किया, लेकिन दूसरी पार्टी ने कोई कार्रवाई नहीं की। बाद में भेजे गए नोटिस का भी कोई जवाब नहीं आया। नतीजतन, जिमी ने मानसिक परेशानी और हुए आर्थिक नुकसान के लिए राहत की मांग करते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।