
पाकिस्तान तालिबान में सीजफायर फेल
इस्तांबुल में पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के बीच बहुप्रतीक्षित शांति वार्ता अचानक नाटकीय रूप से विफल हो गई, जिससे दोनों देशों के बीच एक बार फिर से तनाव बढ़ गया है और इसके बड़े परिणाम दिख सकते हैं। दोनों देशों के बीच शांति हो जाए, इसके लिए कतर और तुर्की ने मध्यस्थता की थी और चल रहे टकराव को रोकने का प्रयास किया था। पाकिस्तान और तालिबान के बीच सीजफायर विफल रहने के पीछे की वजह की बात करें तो दोनों देशों के बीच गहरे अविश्वास, फूट और प्रतिस्पर्धी एजेंडे, खासकर अमेरिकी ड्रोन अभियानों और सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे उजागर हुए हैं।
क्यों फेल हो गया सीजफायर
- सूत्रों के अनुसार, इस्तांबुल बैठक काफी उम्मीदों के साथ शुरू हुई थी और कथित तौर पर इसका एजेंडा भी तय हो चुका था, लेकिन इस शांति वार्ता के बीच अचानक पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल और अफगानी प्रतिनिधिमंडल उलझ गए और दोनों प्रतिनिधिनंडल के सदस्यों के बीच तीखी बहस हुई और पाकिस्तान ने अफ़ग़ानी समकक्षों और मध्यस्थों की बेइज्जती की।
- इसकी एक वजह ये भी बताई जा रही है कि पाकिस्तान ने पहली बार सार्वजनिक रूप से यह स्वीकार किया कि उसने अमेरिका के साथ अपने क्षेत्र से ड्रोन संचालन की अनुमति देने वाला एक समझौता किया है और इस समझौते को “तोड़ा नहीं जा सकता” उनके इस बयान से अफ़ग़ानी पक्ष ने कहा कि पाकिस्तान अमेरिकी ड्रोनों को अफ़ग़ान हवाई क्षेत्र का उल्लंघन करने की अनुमति नहीं दे सकता।
- अफ़ग़ान प्रतिनिधिमंडल ने इसमें किसी के हस्तक्षेप नहीं करने की गारंटी मांगी, तो पाकिस्तान शुरू में तो सहमत दिखाई दिया, लेकिन इस्लामाबाद से वरिष्ठ अधिकारियों को एक “अज्ञात फ़ोन कॉल” आने के बाद, पाकिस्तानी वार्ताकारों ने अचानक अपना रुख बदल दिया और घोषणा की कि उनका अमेरिकी ड्रोनों या इस्लामिक स्टेट (दाएश) की गतिविधियों पर कोई नियंत्रण नहीं है। इन बातों को लेकर दोनों के बीच बहस इतनी बढ़ी कि सीजफायर फेल हो गया।
- अफ़ग़ान प्रतिनिधियों ने कहा कि वे यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि पाकिस्तान पर कोई भी हमला अफ़ग़ान धरती से न हो, और उन्होंने इस्लामिक अमीरात के आधिकारिक रुख़ को दोहराया कि टीटीपी मुद्दा पाकिस्तान की आंतरिक समस्या है। बदले में, उन्होंने अनुरोध किया कि पाकिस्तान अफ़ग़ान हवाई क्षेत्र की अखंडता की गारंटी दे और अमेरिकी ड्रोन अभियानों की मेज़बानी या समर्थन बंद करे।
अफगानिस्तान ने पाकिस्तान को दी धमकी
इस्तांबुल वार्ता की विफलता ने न केवल शांति प्रक्रिया को रोक दिया है, बल्कि अफ़ग़ान-पाक सीमा पर सैन्य टकराव का ख़तरा भी बढ़ा दिया है। इसके साथ ही अफगानिस्तान ने पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी है। अफगानिस्तान मीडिया आउटलेट एरियाना न्यूज ने सूत्रों के हवाले से बताया कि अगर पाकिस्तान अफगान धरती पर हवाई हमले करता है तो अफगान सेना इस्लामाबाद के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार है। अफ़ग़ानिस्तान के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल मतीन कानी ने मंगलवार को कहा कि “यह सच है कि हमारे पास परमाणु हथियार नहीं हैं, लेकिन 20 साल के युद्ध के बावजूद न तो नाटो और न ही संयुक्त राज्य अमेरिका अफ़ग़ानिस्तान को अपने अधीन कर पाए।”
पाकिस्तान तालिबान संघर्ष
ख्वाजा आसिफ ने कहा…आंखें निकाल लेंगे
इसका जवाब देते हुए पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि अगर अफगानिस्तान ने इस्लामाबाद की ओर देखा भी, तो हम उनकी आंखें निकाल लेंगे।” इस्तांबुल में चार दिनों की बातचीत के बाद पाकिस्तान के सूचना मंत्री अताउल्लाह तरार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कहा, “अफगानिस्तान ने कोई आश्वासन नहीं दिया, मूल मुद्दे से भटकता रहा और आरोप-प्रत्यारोप, ध्यान भटकाने और चालाकी का सहारा लिया… इस प्रकार बातचीत कोई व्यावहारिक समाधान लाने में विफल रही।”
तरार ने कहा कि पाकिस्तान अफ़ग़ानिस्तान के साथ शांति की भावना से जुड़ा है, लेकिन उन्होंने काबुल पर “पाकिस्तान विरोधी आतंकवादियों को लगातार समर्थन” देने का आरोप लगाया। उन्होंने आगे कहा, “हम अपने लोगों को आतंकवाद के खतरे से बचाने के लिए हर संभव कदम उठाते रहेंगे।” उन्होंने “आतंकवादियों, उनके पनाहगाहों, उनके समर्थकों और समर्थकों को नेस्तनाबूद करने” की कसम खाई।
पाकिस्तान तालिबान संघर्ष
भारत को क्यों घसीट रहे ख्वाजा आसिफ
अखबार डॉन की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक बार फिर बिना मतलब भारत को इस युद्ध को लेकर इसमें घसीटने की कोशिश की है और कहा कि काबुल सरकार के पास अधिकार की कमी है, क्योंकि यह भारत ने उसमें “घुसपैठ” किया है और इस्लामाबाद के खिलाफ छद्म युद्ध करने के लिए अफगानिस्तान का उपयोग कर रहा है। इसके साथ ही अपने बेतुके बयान में आसिफ ने कहा, “भारत काबुल के माध्यम से हार का बदला ले रहा है. वहां के जुंटा में ऐसे तत्व हैं जिन्होंने भारत का दौरा किया है और उनके मंदिरों का दौरा किया है। उन्होंने आरोप लगाा कि भारत पाकिस्तान के साथ फिर से युद्ध करना चाहता है और इसी वजह से वह काबुल का इस्तेमाल कर रहा है।”
पाकिस्तान तालिबान संघर्ष
क्यों भारत पर लांछन लगा रहा है पाकिस्तान
फ़िलहाल, दोनों देशों के बीच बातचीत की कोई संभावना नहीं दिखती। दोनों पक्ष कठोर रुख़ अपना रहे हैं बता दें कि पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के बीच जारी संघर्ष में अब तक 70 से ज़्यादा लोग मारे गए हैं और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। नौ अक्टूबर को काबुल में हुए विस्फोटों के बाद दोनों देशों के बीच हिंसा भड़की थी, जिसके लिए तालिबान अधिकारियों ने पाकिस्तान को ज़िम्मेदार ठहराया था।
संयोगवश 9 अक्टूबर को काबुल में हुए विस्फोटों के बीच अफ़ग़ान विदेश मंत्री अमीर मुत्ताकी की नई दिल्ली यात्रा के दौरान हुए थे, तालिबान ने जवाबी कार्रवाई करते हुए सीमा पर हमला किया, जिसके बाद पाकिस्तान ने भी जवाबी कार्रवाई की।इसके बाद 19 अक्टूबर को दोहा में हुई वार्ता के बाद, जिसकी मध्यस्थता कतर और तुर्की ने की थी, 48 घंटे का युद्धविराम समाप्त हो गया। दोनों पड़ोसी देशों के बीच सीमा दो हफ़्ते से ज़्यादा समय से बंद है और सिर्फ़ पाकिस्तान से निकाले गए अफ़गानिस्तानियों को ही सीमा पार करने की अनुमति है।