
ट्रंप ने न्यूक्लियर टेस्ट का दिया आदेश
Explainer: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने रक्षा मंत्रालय, पेंटागन को परमाणु हथियारों की तुरंत टेस्टिंग शुरू करने का आदेश दिया है। ट्रंप ने कहा कि परमाणु हथियारों यह टेस्टिंग चीन और रूस के बराबर स्तर पर होनी चाहिए। ट्रम्प ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर पोस्ट करके यह जानकारी दी। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा, दूसरे देशों की टेस्टिंग को देखते हुए मैंने डिपार्टमेंट ऑफ वॉर को आदेश दिया है कि हमारे परमाणु हथियारों की टेस्टिंग बराबरी के आधार पर जल्द से जल्द शुरू की जाए। बता दें कि इससे पहले अमेरिका ने आखिरी बार 23 सितंबर 1992 को नेवादा में अपना परमाणु परीक्षण किया था और उसके बाद तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज एच. डब्ल्यू. बुश ने भूमिगत परमाणु परीक्षणों पर रोक लगाने की घोषणा भी की थी।
टाइमिंग को लेकर बड़ा सवाल
ट्रंप का यह आदेश और उनके इस पोस्ट की टाइमिंग को लेकर बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं। एक तरफ ट्रम्प ने गुरुवार को दक्षिण कोरिया में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की तो दूसरी तरफ ऐसा आदेश दे दिया। दूसरी सबसे बड़ी बात कि रूस ने हाल ही में अपने परमाणु हथियारों की टेस्टिंग की है। ऐसे में ट्रंप का ये आदेश दुनिया भर में चल रही उथल पुथल के माहौल के बीच आया है। ट्रम्प ने अपनी पोस्ट में यह दावा भी किया है कि अमेरिका के पास दुनिया में सबसे ज्यादा परमाणु हथियार हैं, लेकिन ‘इंटरनेशनल कैंपेन टू एबॉलिश न्यूक्लियर वेपंस’ के मुताबिक रूस के पास फिलहाल सबसे ज्यादा यानी 5,500 से ज्यादा परमाणु वारहेड हैं, जबकि अमेरिका के पास लगभग 5,044 हैं।
डोनाल्ड ट्रंप
पुतिन ने किया परमाणु हमले का अभ्यास
बता दें कि हाल फिलहाल में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप से हंगरी में मुलाकात टल जाने के बाद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपनी सेना को परमाणु हमले का अभ्यास करने का निर्देश दिया था। और पुतिन के इस निर्देश के बाद रूस की परमाणु हथियारों की जिम्मेदारी संभालने वाली सेना ने अमेरिका पर हमला करने में सक्षम इंटरकांटिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल (ICBM) यार्स का प्लेसत्स्क में परीक्षण किया था जबकि दूसरी ICBM सिनेवा का परीक्षण बैरेंट्स सागर में उसे पनडुब्बी से दागकर किया था।
ट्रंप ने दी थी पुतिन को नसीहत
इसके साथ ही रूस ने परमाणु हमले में सक्षम बमवर्षक विमान टीयू-95 से लंबी दूरी की क्रूज मिसाइल दागने का भी परीक्षण किया और क्रेमलिन ने बताया कि ये अभ्यास सेना के कौशल को परखने के लिए किए गए हैं। रूसी सेनाओं के प्रमुख जनरल वालेरी गेरासिमोव ने सभी परीक्षणों को वीडियो लिंक के जरिये राष्ट्रपति पुतिन को दिखाया था। रूस के परीक्षण पर ट्रंप ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि पुतिन का हालिया मिसाइल परीक्षण “उचित नहीं” है और उन्हें “युद्ध समाप्त करने पर ध्यान देना चाहिए।”
रूसी राष्ट्रपति पुतिन
ट्रंप के आदेश ने मचा दी है हलचल
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का अपने परमाणु हथियार परीक्षण कार्यक्रमों को तेज करने के निर्णय ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई चिंता को जन्म दिया है, क्योंकि यह कदम वैश्विक परमाणु निरस्त्रीकरण के प्रयासों के विपरीत माना जा रहा है। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि क्या डोनाल्ड ट्रंप को इस बात का डर सता रहा है कि रूस और चीन जल्द ही अमेरिका की बराबरी कर लेंगे। ट्रंप ने अपने बयान में आगे कहा, ‘अमेरिका के पास किसी भी अन्य देश की तुलना में सबसे ज्यादा परमाणु हथियार हैं और इनकी प्रचंड विनाशकारी शक्ति के कारण, मुझे ऐसा करना बहुत बुरा लगता था, लेकिन मेरे पास कोई विकल्प नहीं था!
ट्रंप ने ट्रूथ पर किया पोस्ट
चीन के पास कितने न्यूक्लियर हथियार
विशेषज्ञों का कहना है कि चीन तेजी से अपनी क्षमता बढ़ा रहा है, जो 2030 तक 1,000 हथियारों तक पहुंच सकती है। चीन ने 16 अक्टूबर, 1964 को अपना पहला परमाणु बम सफलतापूर्वक विस्फोट किया। इस परीक्षण के साथ, चीन अमेरिका, सोवियत संघ, ब्रिटेन और फ्रांस के बाद दुनिया का पांचवां परमाणु संपन्न देश बन गया। चीन ने अपना अंतिम परमाणु परीक्षण जुलाई 1996 में किया था। चीन के पास वर्तमान में लगभग 600 परमाणु हथियार हैं, हालांकि यह संख्या अनुमानों के आधार पर थोड़ी अलग भी हो सकती है। चीन का परमाणु शस्त्रागार हाल के वर्षों में तेज़ी से बढ़ रहा है और लगातार इसे आधुनिक बनाया जा रहा है।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग
क्या अमेरिका करेगा एनपीटी का उल्लंघन
ट्रंप का परमाणु परीक्षण शुरू करने का निर्देश न्यूक्लियर नॉन-प्रोलिफरेशन ट्रीटी यानी NPT का उल्लंघन हो सकता है, क्योंकि अमेरिका ने साल 1992 में ही परमाणु परीक्षण रोकने का ऐलान किया था। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने पहले ही चेतावनी दी है कि इस तरह का नया परमाणु परीक्षण वैश्विक हथियारों की दौड़ को भड़का सकता है। डेमोक्रेटिक सीनेटर एलिजाबेथ वॉरेन ने ट्रंप के इस आदेश के बाद ट्वीट किया कि ट्रंप परमाणु युद्ध को खिलौना बना रहे हैं। वहीं, विश्लेषकों का मानना है कि रूस के इन नए हथियार परीक्षणों और अमेरिका की ओर से दिए गए इस जवाबी कदम से शांति प्रयासों को गंभीर झटका लग सकता है।
परमाणु नीति विशेषज्ञों का कहना है कि यदि अमेरिका वास्तव में परमाणु परीक्षण शुरू करता है, तो यह 1992 के बाद पहली बार होगा जब वाशिंगटन औपचारिक रूप से परमाणु परीक्षण करेगा। इससे कूटनीतिक हलकों में सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह अमेरिका की रणनीतिक चाल है, या डोनाल्ड ट्रंप चीन और रूस से डर गए हैं?
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