
शहबाज शरीफ, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री।
इस्लामाबाद: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पाकिस्तान को ऐसा झटका दिया है कि उसकी आबादी पहले से और अधिक बेलगाम हो जाएगी। बढ़ती जनसंख्या पहले से ही पाकिस्तान के लिए बोझ बन चुकी है। अब आईएमएफ के करंट से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी सकते में आ गए हैं। वह अपने देश में कंडोम और महिलाओं के लिए गर्भनिरोधक पिल के दाम भी सस्ते नहीं कर पाए। इससे पाकिस्तान में जनसंख्या विस्फोट होने और इससे भुखमरी और बढ़ने की आशंका व्याप्त हो गई है।
पाकिस्तान में है सबसे अधिक जनसंख्या वृद्धि
पाकिस्तान पहले से ही दुनिया में सबसे अधिक जनसंख्या वृद्धि दर वाले देशों में से एक बना हुआ है। पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने गर्भनिरोधक साधनों पर 18 प्रतिशत सामान्य बिक्री कर (जीएसटी) को तत्काल प्रभाव से खत्म करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। नतीजतन देश में कंडोम महंगे बने रहेंगे। आईएमएफ ने फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू (एफबीआर) के प्रस्ताव को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया और कहा कि ऐसे मुद्दों पर केवल आगामी बजट में ही चर्चा की जा सकती है।
गर्भनिरोधक साधनों पर जीएसटी का झटका
शीर्ष सरकारी सूत्रों ने के अनुसार आईएमएफ ने गर्भनिरोधक साधनों पर जीएसटी वापस लेने के एफबीआर के अनुरोध को पूरी तरह ठुकरा दिया है, जिससे प्रधानमंत्री के अगस्त 2025 के उस निर्देश पर प्रभावी रूप से रोक लग गई है, जिसमें जन्म नियंत्रण उत्पादों को देश भर में सस्ता और आसानी से उपलब्ध कराने का आदेश दिया गया था। इसलिए पाकिस्तान की बढ़ती जनसंख्या के बावजूद कंडोम की कीमतों में तत्काल कमी की कोई संभावना नहीं है। सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री ने अगस्त 2025 में एफबीआर को निर्देश दिया था कि इस मामले को आईएमएफ के साथ उठाया जाए, लेकिन महीनों की कोशिशों के बावजूद कोई सफलता नहीं मिली।
आईएमएफ ने नहीं माना पाकिस्तान का प्रस्ताव
बताया जा रहा है कि हाल ही में पीएम ऑफिस में हुई एक बैठक में खुलासा हुआ कि एफबीआर के बार-बार प्रयासों के बावजूद आईएमएफ ने अपनी सहमति नहीं दी। पाक अधिकारियों के अनुसार एफबीआर ने वाशिंगटन डीसी स्थित आईएमएफ मुख्यालय को ईमेल के जरिए औपचारिक रूप से संपर्क किया था और गर्भनिरोधक साधनों पर जीएसटी खत्म करने पर विचार करने का अनुरोध किया था। एफबीआर ने प्रस्तावित राहत के राजस्व प्रभाव का अनुमान 400 से 600 मिलियन रुपये लगाया था, लेकिन आईएमएफ के फिस्कल अफेयर्स डिपार्टमेंट ने इस प्रस्ताव में कोई रुचि नहीं दिखाई। इसके बाद एक वर्चुअल बैठक हुई, जिसमें पाकिस्तानी अधिकारियों ने कंडोम पर जीएसटी तत्काल प्रभाव से खत्म करने की प्रधानमंत्री की इच्छा जताई। आईएमएफ पक्ष ने इस मांग को ठुकरा दिया और कहा कि वित्तीय वर्ष के बीच में कोई कर राहत नहीं दी जा सकती, खासकर जब एफबीआर पहले से ही वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए संशोधित राजस्व लक्ष्य 13.979 ट्रिलियन रुपये (पहले 14.13 ट्रिलियन रुपये) हासिल करने में संघर्ष कर रहा है।
सैनिटरी पैड और डायपर्स भी होंगे महंगे
आईएमएफ के इस कदम से पाकिस्तान में सैनिटरी पैड और डायपर्स भी महंगे बने रहेंगे। बंद कमरे की चर्चा में आईएमएफ स्टाफ ने स्पष्ट किया कि ऐसी किसी कर राहत पर केवल 2026-27 के अगले बजट में ही विचार किया जा सकता है। पाकिस्तानी पक्ष ने सैनिटरी पैड्स और बेबी डायपर्स पर जीएसटी कम करने के प्रस्ताव भी उठाए। मगर आईएमएफ ने इन उपायों का भी कड़ा विरोध किया, क्योंकि इनमें बड़ा राजस्व दांव पर लगा है, खासकर बेबी डायपर्स में जहां कर आधार करीब 100 बिलियन रुपये है। सूत्रों ने बताया कि आईएमएफ ने आगे तर्क दिया कि गर्भनिरोधक साधनों या डायपर्स पर कर राहत देने से एफबीआर के लिए इन वस्तुओं की तस्करी को बढ़ावा मिल सकता है, जिससे प्रवर्तन जटिल हो जाएगा।
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